Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

(४५)
अरिल्
भृपति कांयों कहें ढुंढरी । जासा छा मे धर्ती पारी ॥
मालूतणय षाहजी राणा । येषो दानम्हे वाको जाणा ॥
राजा और दुनीजा खावें । इतरो षाह गुणीजन पावें ॥
मात्तो हत्ती देख्यां पागा । राजा आप पूछवा लागा ॥१०९॥

धनाछरी
कोठाषो पधाऱ्या राजषहरथें रहोला आजा थोरला फौज कायों दीषे छेसु जाणारी।
हुवे जी महाराजा षाहजीरा भाट छा म्हें राजगड चित्रोड कुलजात राणीरी ॥
जाणाछा षाहाराज राणाजिरो भाई छे जी षुनी चें म्हें तिरंदाजी जिसडी खाणखाणारी।
आंबेररो पति नित भाटां लारि वातो करि पाछें कहें खवर लीजे यहरा
घाषदाणारी॥११०॥

(४६)
दोहा
संपति देख्या भाट करि पूरब करि सब भाट
जाच न आवें साहें को विद्या को करि घाट ॥१११॥

(४७)
छंद नरीद । पूर्वी ।
पूरब घास वास अकवरपुर याक कबीस आया ।
काब करी सुवास बिकसित मजरीका गुन गावा ॥
ध्वार करीक बाप सबक पर न कंचन भूखन दीनें ।
साहेब साहजी सहज पहविध भंगत आसीसु लीने ॥११२॥