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राधामाधवविलासचंपू (शहाजी महाराज चरित्र)
महाराजा मालजीके तालेदेखो आल पाल लाल ऐसा खुदायताला खुबीन दे बाजा है ।
जानता है गुन कदर बकसता है सब सदर और यिस्के नजर आधें क्या जग्देव जाजा है ।
ज्याके बेटे ज्वान् ज्वान् औतार जैसे रामका जिल्हका दान देखि देव दइवतभी लाजा है ।
सैतबंधरामेसरसो कहे रूमशाम ताई साहेनको साहे महाराजनको रा है ॥५३॥
विजापुरबादसाह बाते करे बारबार कर रे वजीरहे पैं करनाटकु नायो है।
यैसी जब सुनी बात दातनसो आठइ सिकसिकै बर कमान खुमान तुहिं धायो है ॥
मालमकरंदनंद दुवनत्रिन दावनल तेरो जस दस दिस निदि सिस गाहै ।
पिन्गोडा खलास करि सलाहसो किल्ला यह तेरे यखलास यखलासखान पायो है ॥५४॥
कर्नाटुक मध्यो सिंधु हिंदुपति पातशाह पिनगोडा गठवीव करि मानो रयी है ।
काठे बर रतन सो तन हि मोजत न राखि दुसमनको बिंखु दे पिउंख मुनि लयी है ।
सात सिंध सेवट लो खेवट जहाज बिन किरतिये तेरी पैरि पारावार छयी है ।
सबसो संगति हेरिवथ गीत उगति मेरि सो चातुकी चोप तेरीचेरी आन भयी है ॥५५॥
(२४)
करका तब यह बात परकू बि वह वीयो प्रकास ।
अल्लीखाना गुनिजन वह गायो साहेब पास ॥
सो जथा ।
चढो साहे दल-भारि अल्लंगगडको हृदय करनाटिको बठत भडको ॥धृ.॥
हडबडत गडपाल दडबड हिं जाय धर कहत दरबारकोद्धार अको ।
जित हि तित घरि करि बंद किय बीज अरि पंछि पुनि गिरिदरिन जात फडको ॥
सखत तख्ते सिडी जोडि करि तोडि सब यौरि लागत जबर जंग धडको॥१॥
जैसे जगदीश दसससिको घीसकर डारो जिम बारि रये झाड थढको
त्यो हि रे गोउ तुव पीनगाडो अबे घटिकमों उखडि हैं पैडजडंको ॥२॥
ज्यो लो यह प्रबलबल अटल सरजा वली करत नहि कुहरको लहर कडको ।
तोलो जयराम कहे वामनजी सरन हो चरन गहू मूढ जनि हाहे लडको॥५६॥