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महिकावती (माहिम)ची बखर
काळकोट १ | कृतांतकाळ २ | देवदत्त ३ |
अयाती ४ | कपिलाक्ष ५ | लक्षमण ६ |
वीरभद्र ७ | द्वारकभीम ८ | केदार ९ |
कपिलाक्ष १० | विरुपाक्ष ११ | सोमदत्त १२ |
भद्राक्ष १३ | चंद्रसेन १४ | हेमवंत १५ |
बळिभद्र १६ | अर्जुन १७ | अंकुश १८ |
ताम्रध्वज १९ | नीळध्वज २० | उग्रसेन २१ |
विश्वपाळ २२ | देवगिरी २३ | चंद्रसेन २४ |
इतुके राजे नांदले नवकोटि पर्वतीं ।। त्याचि परंपरा चालिलि तेथें ।।
पुढें कथा वर्तलि सत्य ।। ते आईका ।। १३५ ॥
इंद्रशेन राजा तेथिचा ।। प्रतापि धनुर्धर साचा ।।
धार्मिष्ट बोलणें सत्य वाचा ॥ सदावृती ॥ १३६ ॥
नांदतां नवकोटि पर्वती ।। कथा वर्तलि पुणती ॥
ते ऐकावि श्रोतीं ।। ऋषिवाक्ये ॥ १३७ ॥
उज्जनि नगरिचा नृपवर ।। शांतनादित्य धनुर्धर ॥
धार्मिष्ट महाथोर ।। दानसूर प्रतापि तो ॥ १३८ ॥
नांदतां उज्जनिनगरी ।। कंन्या असे तयाचि उपवरी ।।
नांवें पद्मावति सुंदरी ।। नागरा ते ॥ १३९ ।।
स्वयंवर मांडिलें तियेचें ॥ राजे मिळाले देशोदेशिचे ।।
इंद्रशेन स्वयंवरातें ॥ गेला तेथें ॥ १४० ॥