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[१५३]                                        ।। श्री ।।                    १२ जानुआरी १७६०.

राजश्रियाविराजितराजमान्यराजश्री त्रिंबकपंतनाना व राजश्री जनार्दनपंत स्वामीचे सेवेसीं:

पोष्य गोविंद बल्लाळ सा॥ नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय कुशल लेखन करीत जाणें. विशेष. इकडील वर्तमान सर्व चिरंजीव बाबाचे पत्रीं लिहिलें आहे त्याजवरून कळेल. आह्मी सर्व सुखरूप आहों. रा. दादोबा, भास्करपंत सर्व सुखी आहेत. होणार बलवत्तर२२२ तें जालें! रा मल्हारजीबाबाहि आज आले. हेहि दिल्लीकडे जातील. रेवडीपासून आह्मी इटावेयाजकडे येऊं. बहुत काय लिहिणें. कृपा लोभ असो दीजे. हे विनंति.