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महिकावती (माहिम)ची बखर
अभिमन्य १ | परीक्षिती २ | जन्मेजय ३ |
नरवाहन ४ | वेणुवैस्यराज ५ | अजानबाहु ६ |
सुबाहो ७ | भीमसेन ८ | कृपाभान ९ |
उर्ध्ववाह १० | सौभद्र ११ | परीक्षिती १२ |
साहादेव १३ | मदन १४ | कुमार १५ |
केदार १६ | लक्षमण १७ | द्रोण १८ |
धनंजय १९ | अर्जुन २० | विक्रम २१ |
मेघनाद २२ | देवदत्त २३ | त्रीविक्रम २४ |
त्रीविक्रम राजा कुशळ ॥ कवण बांधि तयासि सळ ।।
क्षेत्रिया माजी प्रबळ ॥ शोमवंशि जो ।। ३६ ॥
सदावृत्ति राजन्न ।। नेमधारि त्रीविक्रम ।।
वरदि उपाशक त्रिलोचन ।। व्रत नेम सदा चालवी ।। ३७ ।।
शोमवंशासि व्रत सोमवार ।। यज्ञोपवीत निर्धार ।।
रुद्रगायित्री बिजाक्षर ।। जप त्रिकाळी ॥ ३८ ॥
स्नानसंध्या देवार्चन । शीवभक्ति कथाकीर्तन ।।
वेदमंत्री क्रियाकर्म । ब्रह्मभोजन सदाकाळी ।। ३९ ॥
व्रतबंध यकादशवर्षी । विवाह उपवार राजसी ॥
रजशिळा चतुर्थदिवशीं । शुद्ध होणें ।। ४० ॥
सिंहासन पंचकलशा । मुगुट मंजिरि घोषीं ।।
छत्रे पांच शोभेसीं । वधूवरा कारणें ।। ४१ ।।
वीरकंकण बाहुबंद । तोडर चरणि प्रसिद्ध ॥
बाहुटा पीतवर्ण उदित । नानावाद्यें ।। ४२ ।।