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महिकावती (माहिम)ची बखर
।। श्रीगणेशाय नमः ।।
ॐ नमो जी विनायका ।। सर्व सिद्धीच्या नायका ।।
झानबोधा विश्वव्यापका ॥ कविमयंका वेदमूर्ती ।। १ ॥
चाळकस्थिति अगम्य सर्वादी ।। स्वयें सर्वश्वी ऐक्य मांदी ।।
इछातित भक्तहृदीं ।। कळासिद्धी अर्पिसी ॥ २ ॥
धरोनि हा चि विश्वास ।। ग्रंथ आरंभितो सावकास ।।
जणे पावन सूर्यवंश ।। ते कथा सुरस वदवी देवा ॥ ३ ॥
ब्यासें कथिलें भारत ।। जें युगांतरि चाललें सत्य ।।
तैसें च वाल्मीककृत्य ।। कथा पवित्र बोलिला जो ॥ ४ ॥
अीराम सूर्यवंशी उत्पन्न ।। वाल्मीकरुषि वदला आपण ॥
तैसें हें भविष्योत्तरपुराण ।। ऋषिवाक्यें ।। ५ ।।
अठ्यासि सहस्त्र ऋषेश्वर ।। नानामतिं विस्तारले कल्पतरुवर ।।
जे सर्वउपमेचे सागर ॥ तयांसि मी थिल्लर काय वर्णूं ॥ ६ ॥
तयांची नावें सांगतां ।। विस्तारे जाईल कथा ।।
म्हणोनि तयांचे चरणी माथां ॥ ठेवोनि विनवितों ।। ७ ।।
रिघोनि तयांसि शरण ।। नमिले त्यांतिल चतुर्विस जण ।।
ते कवणकवण ।। मुख्यत्विं पूर्ण सांगतों ।। ८ ॥
१ प्र-हाद | ९ कपिल | १७ अगस्ति |
२ अत्रि | १० शौनक | १८ कौशिक |
३ वशिष्ठ | ११ याज्ञवल्क | १९ वत्छ |
४ शुक | १२ जमदग्नि | २० पौलस्ति |
५ कण्व | १३ गौतम | २१ मकण |
६ पाराशर | १४ मुद्गल | २२ दुर्वास |
७ विश्वामित्र | १५ व्यास | २३ नारद |
८ भारद्वाज | १६ लोमस | २४ कश्यप |