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महिकावती (माहिम)ची बखर
मग म्हणे वीचित्रविर्य ।। बोलिला उत्तर ।।
मज अर्पिजे हे नागर ।। सुलोचना ॥ ७७ ॥
मग विरुपाक्षासि वृत्तांत सांगितला ।। वीचित्रविर्य भेटविला ॥
सोहळा पांच दिवस संपादिला ।। मग महेश गेला कैलासा ७८
सुलोचना आणि वीचित्रविर्य ।। गृहिं आलिं वधूवर्य ।।
भृगु सुखि देखोनि सौंदर्य ।। सुलोचनाचे ।। ७९ ।।
वीचित्रविर्य १ | सुबाहुविर्य २ | वैरोचन ३ |
कपिलाक्ष ४ | कपिलध्वज ५ | विमळध्वज ६ |
शुद्रसेन ७ | दुंदुभी ८ | विमळार्जुन ९ |
कुकर्मा १० | सार्वभोम ११ | वज्रबाहो १२ |
सुसुपाळ १३ | वीरभद्र १४ | भद्रसेन १५ |
कृपासेन १६ | केशवादित्य १७ | सुशृमा १८ |
हेमाद्री १९ | सासार्जुन २० | देवधर्म २१ |
वीरधर्म २२ | वितीनार्य २३ | वीरभद्र २४ |
सूर्यवंशीचे नृपवर ।। जे प्रतापि महाधनुर्धर ।।
नांदति पूर्व दिसे साचार ।। महाबलाढ्य ।। ८० ॥
क्षेत्रियां माजि पंचानन ॥ समरंगणि महादारुण ।।
कीर्ति दिगंतरि तयांजि जाण ।। वाखाणिली असे ।। ८१ ॥
ते पवित्र पुण्यसिळ ।। ब्रम्हार्पणि औदार्य केवळ ॥
ज्यांचि कीर्ति परम विमळ ॥ चालत असे ।। ८२ ।।
दैत्य निर्दाळुनि समग्र ॥ राज्य भोगिती पवित्र ।।
ज्यांसी साह्ये श्रीरामचंद्र ।। सूर्यवंशी ।। ८३ ॥
दशरथ १ श्रीराम २ लहुअंकुश ३
भरथ ४ शत्रुघ्न ५ अजानबाहु ६
विमळार्जुन ७ सर्वोत्तम ८ महाभोम ९