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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड आठवा (१६४९-१८१७)

[ ३० ]                                           श्री.                                                            १६७४.
                            प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता ।।
                            शाहसूनो. शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते ।।.                

अज् रख्यखाने राजश्री शिवाजी राजे दामदोलेतहू ता । बकाजी फर्जद- सुहुरसन अर्बा सबैन व अलफ. मौजे नादेडे तर्फ खडकवासलें येथील मोकदमी राजवडियाची होती त्याणे सदोजी पोळ यासी निमे तक्षीम नावनांगराची विकिली निमे तक्षीम कीर्दीची घुलियासी विकिली त्यास सदोजी पोळापासून निमे नावनांगराची तक्षीम साहेबीं पैके देऊन विकत घेतली होती ते हालीं तुह्मांस मेहेरबान होऊन शंभरा होनास विकत दिधली. निमे तक्षिमेचा हक्कलाजिमा व इनामचावर जें उत्पन्न असेल तें खाऊन नावनांगराची निमे पाटिलकीचा कारभार करीत जाणें. पाटिलकीची निमे तक्षीम तुज दिधली असे लेकराचे लेकरीं औलाद अफलाद तुवा खाणें. अर्थाअर्थी कोणास संबध नाहीं. साहेबीं निमे तक्षीम तुज दिधली असे. निमे काळी व पांढरी असे निमे तक्षीम आहे ते तुझे तुज असे मोर्तब सूद.

                                                        रुजू सुरनवीस.