Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड आठवा (१६४९-१८१७)

[ ९८ ]                                            श्री.                                      ३१ मे १७२८.

 

स्वस्तिश्री राज्याभिषेक शके ५४ कीलकनाम संवत्सरे जेष्ट शु ।। चतुर्थी भृगुवासरे क्षत्रियकुलावतंस श्रीराजा शंभुछत्रपति स्वामी यांणीं समस्त राजकार्यधुरंधर विश्वासनिधी राजमान्य राजेश्री भगवतराव अमात्य हुकमतपन्हा यासी आज्ञा केली ऐसी जे - तुह्मीं विनंतिपत्र पाठविलें तें प्रविष्ट जाहाले पूर्व पद्धतीप्रमाणे सेवा घेऊन ऊर्जित केल्यास हाजीर आहो ह्मणून कितेक लिहिले व राजश्री बाळाजी महादेव व नारो हणमंत यांणीही लिहून पाठविलें त्यावरून विदित झालें. ऐशास, तुह्मीं स्वामीचे परंपरागत सेवक आहां. तुमचें पूर्वपद्धतीपेक्षांही स्वामी विशेषाकारें ऊर्जित करून चालवितील. येविशीं तुह्मीं समाधान असो देणें सविस्तर उभयतां बरोबर अगोदर सांगोन पाठविलेच आहे. हालीं राजश्री शिवाजी शकर यांस पाठविले आहेत. आज्ञेप्रमाणे सांगतां कळेल व रा। उदाजी चव्हाण हिंमतबहादर याजकडील शिवाजी शिवदेव यास ही पाठविलें आहे याउपरी स्वामीचे दर्शनाचा प्रसंग सत्वर होऊन ये तें करणें. बहुत लिहिणें तरी सुज्ञ असा.
                                                                                                मर्यादेयं विराजते.