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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[३४२]                                                                         श्री.                                                                    १६ जुलै १७३९.

श्रीमत् तीर्थरूप परमहंसबावा स्वामीचे सेवेसी :-
अपत्यें सौभाग्यादिसंपन्न गिरजाबाई कृतानेक साष्टांग दंडवत विनंति उपरी येथील कुशल तागाईत आषाढ बहुल अष्टमी इंदुवारपावेतों स्वामीचे आशीर्वादेंकरून वर्तमान यथास्थित असे. विशेष. बहुत दिवस स्वामीकडून आशीर्वादपत्र येऊन परामर्ष होत नाहीं. तरी सदैव आशीर्वादपत्र पाठवून परामर्ष करीत असिलें पाहिजे. वरकड पेशजी स्वामीकारणें किंचित् जिन्नस पाठविला होता. ता :-
बदाम १.
खारीक १.
नाबदसाखर १.
इलाची १.
काजूच्या बिया १.
अत्तरकुपी १.
पिंजर १.

येणेप्रमाणें जिन्नस स्वामीकारणें पाठविला होता; परंतु पावलियाचें उत्तर आलें नाहीं. तरी पावलियाचें उत्तर पाठविणार स्वामी समर्थ आहेत. बहुत काय लिहिणें. लोभ असो दीजे. हे विज्ञापना. छ १७ रबिलाखर आषाढवदि.