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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड बावीसावा (१७९२-९३)

राजश्री अमृतराव लक्ष्मण टकले                                                     लेखांक १८८.                                                      १७१५ चैत्र वद्य १३.
याचे पत्राचे उत्तर व माहादजी
बाबजी यांचे नांवे पत्र दिल्हे रा
छ २६ साबीन सन १२०२.

राजश्रिया विराजित राजमान्य राजश्री अमृतराव स्वामीचे सेवेसी-
पो गोविंदराव कृष्ण सां नमस्कार विनंति उपरि एथील कुशल जाणून स्वकीये लिहिणे विशेष तुह्मी पत्र पा ते पाऊन मार समजला व कितेक मार राजश्री आपाजीपंत यांचे जबानीवरून कळला ऐसियास तुह्मी सर्वप्रकारे पदरचे हे खरेच यांत गुंता नाही प्रसंगोचित साहित्यास अंतर होणार नाही याचा मार पंतमार सांगतील त्याजवरून कळेल रा छ २६ साबान बहुत काय लिहिणे लोभ कीजे हे विनंति.