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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड एकवीसावा (शिवकालीन घराणी)

लेखाक २२१
१७६६ आश्विनवा। १३

श्री
रुजू पुरुषोत्तमाचार्य हस्ताक्षर खुद
वेदशास्त्रसपन्न राजमान्य राजश्री समस्त ब्राह्मण क्षेत्रकराड यासी

प्रीतीपूर्वक समस्त आचार्य कालगावकर विशेष रो। बापू त्रिंबक मसूकर याणे समस्त देहाय व भोरगाव यास क्षेत्राचे पत्र आणून लाविले त्यात मजकूर रो। रो। रावजी व्यास व अताचार्य कालगावकर व हरभट बुधकर मसूरकर या त्रिवर्गाखेरीज करून पूर्ववत् प्रमाणे अन्नोदकव्यवहार करीत जाणे ह्मणोन ता। तारगाव व ता। उब्रज यास पत्र आणून लाविले त्याज वरून आह्मी समस्त आचार्य क्षेत्री आलो त्यास नारोपत भगवत कुलकर्णी यास स्थलसुध्यतीर्थ आह्मी दिले व पुढे मसुरात तटा जोती भगवता ब॥ जाहला त्याज वरून गुडभट आला त्यास आह्मी तीर्थ मागितल्या वरून दिले क्षेत्रस्थाचे अधिकारसबधी अन्य गावात तीर्थ दिले नाही अन्य गावात दिले असे जाहल्यास तुह्मी सागाल त्या प्रमाणे वागू कळावे बहुत काय लिहिणे ही विनती मिती आश्विनवा। १३ सके १७६६
रुजू आचार्य मडळी
हस्त आक्षर बाबाजीचार्य बिन रा-          १ अनताचार्य बिन वासुदेवाचार्य
वजी व्यास आचार्य                             १ व्यकटाचार्य बिन मधुसुदनाचार्य
१ सितारामाचार्ये                                १ दादाचार्य
                                                     १ रुजु अनताचार्य हस्त अक्षर खुद