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संस्कृत भाषेचा उलगडा

पाणिनी ही रूपे खालील आगम घालून सिद्ध करतो : १) इद स्थानी अय, २) इदम् स्थानी इम, ३) इदम् स्थानी अन व एन, ४) इदम् स्थानी अ, ५) इदम् स्थानी अने, ६) नाम् स्थानी षाम् ह्न साक्षात् निपात केला असताना तरी काही बिघडले नसते.

                                   इदम् स्त्रीलिंग
त्यत् च्या स्त्रीलिंगाप्रमाणें साधनिका व इदम्, यनद्, अ या तीन शब्दांच्या रूपांचे मिश्रण.

             इदम् नंपुसकलिंग
१) (इदम् + म्)        इदम्      इदमी        इदम्मि
२)                        इमम्      इमे           इमानि
३)                        एनत्      एने            एनानि
या तीन सर्वनामांच्या रूपांचे मिश्रण.

८ पाणिनीय अदस् सर्वनाम.
तद् म्हणजे ते. अतद् म्हणजे तद् च्या हून अलीकडले. अतद् किंवा अतत् मधील पहिल्या त चा द होऊन व दुसऱ्या त् चा स्हो ऊन अदस् हा सामासिक शब्द झाला. पूर्ववैदिकभाषांत अद्स् (अतत्) व अमु अशी दोन सर्वनामे असत. त्यांच्या रूपांचें
मिश्रण होऊन पाणिनीय रूपे झालीं आहेत.

अदस्
(१) अदस् + स् = असस् = स् = असह् + ह् = असअ + उ = असा + उ = असौ अ + तद् = अतद् = अस अथवा (त स्थाने स असे पाणिनी सांगतोच).
अस + स् = अस + ह् = अस + उ = असौ
* अ + उ किंवा आ + उ यांचा संधी पूर्ववैदिकभाषात औ होत असे.
* इतर रूपे तत्प्रमाणे :

    १             २         ३
   असौ       अतौ     अते
    अतं          ' '     अता
                इ. इ. इ.