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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड सहावा (१८ वे शतक)
[ ६०४ ]
श्री शक १६५० माघ वद्य २
सीधश्री सरब उपमा जोग सदा राजमान राजश्री मं० राव नंदलालजी कुवर तेजकरणजी जोग्यली. माहाराज श्रीराणा सबलसींघजी, श्रीकुंवार नरीदसींघके. बंचणों इहांका समाचार भला छे, उहां का सदा भला चाहीजे तो संतोष होये. आगों पत्रीका दसखत खास भेजी सो पोंहचा. समाचार पाया सुबकुवो लिष्येथी, जो चुहड मलजीनें जामका मुकदमा बाबत करार दाद मा कुछ कमीकी कही सो हमतो अफजुदका उमेदवार छां. हमारी मीहनत वी० खरच उपरनेजर राखणी. ते खै साहेब नैसबसां चली लीयेतो खरच करणो मीहनत तळास तरकुद साहेबथी जवा बात बणी आवे. श्रीमहाराज साहेब खदमत नहीं कुई आवी अवरगनीमका समाचार उमट वाडीका लीखा ते जाहेर हुवा फैरी समाचार लीखोगा गनीम मालवा छे तब तांईसाहेबके भरोसे छां समाचार ऊज तार होगा. अपर बाजीरावकी बाघणकी खबर झुटीछे. अपर अपुरब समाचार नही जो लिखा चिठी समाचार लिखता रहणो. मास फागण वीदी २ संवत् १७८५.