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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[१३३]                                                                      श्री.                                                         


महाराज श्री छत्रपती साहेबांचे सेवेशीं. सेवक वेंकाजी भास्कर सेवेसी विज्ञापना. सु॥ इसनें अशर मय्या व अलफ. साहेबांचे ठेवी आपणापाशीं आहे, बद्दल मुचलका. ऐसेयासि येकंदर कबिला साहेबापाशीं आणून ठेवितो. आपणास रजा देणें. पैका आणून देईन. वडील लेकही आणवीन. कबिला पंधरा रोजांत आणवितो. थोरला लेक अजोळी आहे तोही मनाभरां आणवितों. साहेबांचे सेवेसी श्रुत होय हे लिहिलें. सहीं. चंद्र २६ जमादिलावल.

 


[१३४]                                                                      श्री.                 
                                                        १३ जुलै १७०४.

स्वस्तिश्री राज्याभिषेक शके ३१ तारणनाम संवत्सरे श्रावण शुध्द एकादशी इंदुवासरे क्षत्रियकुळावतंस श्री राजा शिवछत्रपती यांनी राजश्री विठ्ठल गोपाळ देशाधिकारी प्रांत जावली याशि आज्ञा केली येशीजे- चंद्राजी चोरघा व यसाजी चोरघा व देवजी चोरघा दिंमत शंभर लोक सेवक राजमंडळ यांची घरें व शेतें.

त॥ सोनाटखोलसें प्रांत मजकुर येथे आहेत. ऐशियास तिघाजणांची शेतसनद पेशजी खावंद असता त्याचे घरी उसुलाचा तगादा लाऊन उसूल घेता ह्मणून विदित झालें. तरी हे हुजूर चाकरी करीत आहेत व शेत सनदही सादर आहे. ऐसे असतां उसूल घेतला ह्मणजे काय? या उपरी ऐसें न करणें. पेशजी शेतसनद सादर असेल तेणेंप्रमाणें वर्तणूक करणें. फिरोन बोभाट येऊ न देणें जाणिजे. वसूल घेतला असेल तो परतोन देणें.