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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड बावीसावा (१७९२-९३)

राघो अनंत चिटगोंपेकर याचे पत्राचें उत्तर.                                       लेखांक २१०.                                                      १७१५ अधिक वैशाख वद्य १२.

राजश्रिया विराजित राजमान्य राजश्री राघोपंत स्वामीचे सेवेसी-

पो गोविंदराव कृष्ण सां नमस्कार विनंति उपरि एथील कुशल जाणून स्वकीयें लिा जावें विशेष तुह्मीं पत्र पा ते पावलें मौजे हनरगी पा चिटगोपें एथे चौथाईचा कडबा आहे त्यास लस्करचे कहीवाल्याचा उपद्रव लागतो यास्तव ताकीद् व बाणदार देवावा ह्मणोन लिा त्यास कहीवाल्यास उपद्रव न करण्याची ताकीद बहुतकरून नवाबाचे सरकारांतून आहे तथापि बाणदार असलासा पाहिजे तर अडीच रुो रोज द्यावा लागतो लिहून पा ह्मणजे बाणदार पाठऊ रा छ २५ रमजान हे विनंति.