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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड एकवीसावा (शिवकालीन घराणी)
लेखाक १०६
१६४३ भाद्रपद १४
श्री
श्रीमत् श्रौतस्मार्तकर्मानुस्टानपरायण राजमान्य राजश्री समस्त ब्राह्मण विद्वद् वैदिक क्षेत्र क-हाड स्वामी गोसावी यासि
स्नेहाभिलाषी हरीराजाचार्ये पडितराय नमस्कार उपरी वेदमूर्ती केशव भट बीन माहादे भट व वेदमूर्ती रुद्र भट बीन नारायण भट व वेदमूर्ती नरहरी भट बीन तीमण भट उपनाम गिजरे याणी किले पनालेचे मुकामी येउन विदित केले की आपणास योगक्षेमास उपाय काही नाही आपणास काही भूमी देविली पाहिजे ह्मणौन विदित केले त्या वरून मनास आणिता ब्राह्मण भले योगक्षेमाविणे श्रमी होतात ऐसे पाहून यास मौजे शिवापूर अग्रहार पैकी भूमि देबिली बिता।
वेदमूर्ती केशवभट बिन वेदमूर्ती नरहरभट बिन
माहादेवभट गिजरे यास तिमणभट गिजरे यास
भूमी बिघे २ भूमी बिघे २
वेदमूर्ती रुद्रभट बिन
नारायणभट गिजरे यास
भूमी बिघे २श्री
येणे प्रमाणे भूमी देविली असे तरी यास मोजे मा।र अग्रहार पैकी गयाल व नकल जे असेल त्या ऐवजी त्रिवर्ग वेदमूर्तीस सदरहू भूमी बिघे ४६ साहा बिघे नेमून देणे छ २७ माहे जिलकाद सुहुर सन ईसने अशरैन मया अलफ हे नमस्कार
शुभ भवतु