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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड पंधरावा (शिवकालीन घराणी)

                                                                                   लेखांक ५५

                                                                                        श्री                                                           १६२५ पौष शुध्द ३                                                           

दरबंदगी नबाबसाहेब

.5 अर्जदास्त बंदे कमतरीन सेरीकर स्वरुपजी यादव पदाजी यादव देसमुख पा। कर्‍हाराबाद सु।। हजार १११३ अर्ज मेरसानद बा। ता। छ १ रमजान साहेबाचे नेक नजरे करून बखेर सलावीत असे

बा। साहेब कबिले मेहेरबान सलामत साहेबी हुहूर बोलाऊन हुकूम केला जे माहादजीने अर्ज लिहिला तो हकीकत खातिरेस आणून तेथे लिहिले की तेथे लिहिला की थलास पाठवणे ह्मणऊन लिहिले तरी आह्मी कोणेवखती स्थलास गेलो नाही मा। सेनापती यानी व विठोजी पाटेल रहिमतपूर याकडे स्थल नेऊन त्यास त्याने पा। मा। चे देसपाडिये व मोकदमानी सगमी कृष्णा तेथे मिलोन वादे दोघे नदीमधे घालावे जो ता। मसूरीचा देसमूख असेल तो हाती धरून काढावा ऐसे लेहून दिल्हे त्यास सगमास न आले चुकाऊन गेला ऐसा बाजागारी हुन्नर बदी करून करून चुकावितो त्यास आधी मसूरीचे पटेलगी समध नाही बाजागारीही गाचा मुसलमान पाटलानी याचा वडील टागिला होता त्यास मुतालिक ठेविले होते तुरुक मारुन घरे त्याची लुटून माल बिसात मोबलग लागला त्या बळे पाटिलगी खातो हे गिर्दनमईचे परगणेस देसमुखास व मोकदमास ठाऊके असे हाली आह्मी संगमी निवाडियास राजी असो विठोजी पाटेलाचा लिहिता प्रा। व गीर्दनवाईच्या परगणेचे देसकास पा। मा। रीचे मोकदमास राजी असो हा सत्तावन अपुले ह्मणतो तरी त्याचे सत्तावन गावानी सगमी अमचे हाती पुर्वज बेतालिस स्मरोन जे घालितील त्यास राजी माहादजीस देसमुखीस मसुरीचे तालीक नाही बदगीस रोसन् होय हे अर्जदास