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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[५४७]                                                                        श्री.                                                               

स्वामीचे सेवेसी विज्ञापना. पुण्याच्याचें वर्तमान येथें विशकळित ऐकतों. येथें बहुतशी गडबड जहाली आहे. त्यास, स्वामीचे येथें तथ्य वर्तमान आलें असेल तर या पत्रामागें लेहून पाठवणें. यानंतर चिरंजीव स्वामीची आज्ञा घेऊन स्वार जाले ते सोमवारी दीड प्रहरा रात्रीस फडणिसापाशी पावले. कळावे, बहुत काय लिहिणें, कृपा केली पाहिजे.


[५४८]                                                                        श्री.                                                               

वेदशास्त्रसंपन्न राजमान्य राजश्री दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
सेवक जयाजी शिंदे कृतानेक साष्टांग विज्ञापना येथील कुशल स्वामींच्या आशीर्वादें ता छ १४ रबिलावेल जाणोन स्वकीय कुशल लेखनाज्ञा करीत असिलें पाहिजे. विशेष. आशीर्वादपत्र पाठविलें तें प्रविष्ट जाहालें. तेथे जगसिंग खंगारोत कंबेवाला प्रांत जैनगर येथें इंमेवाल्यांच्या मोहरांचा मजकूर लिहिला, त्यावरून त्याशी पुरशिस केली. त्यांणीही पत्र आपणाकडील मनुष्याबरोबरी देऊन पाठविलें असें. त्यावरून साराच मजकूर स्वामीस विदित होईल. कळावे यास्तव सेवेसी लिहिलें आहे. जगतसिंग कंबेवाला ह्मणतो कीं, आपल्यास मोहरांचा कजिया ठावकाच नाहीं. ऐसें बोलला. विदित जालें पाहिजे. विशेष काय लिहिणें. लोभ असो दिल्हा पाहिजे. हे विनंति.