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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[५५३]                                                                        श्री.                                                               

राजश्री वासुदेव दीक्षित गोसावी यांसी :-
561अखंडित लक्ष्मी अलंकृत राजमान्य स्ने॥ मल्हारजी होळकर दंडवत विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय लिहीत असिलें पाहिजे. विशेष. राजश्री हरबाजी महादेव वानवळे यांचे मारफातीनें कर्ज यादो नाईक तांबोळे यांजकडे आहे, तें घ्यावयास बिला हरकत करता, ह्मणून विदित जालें. त्याजवरून तुह्मांस लिहिलें असे. तरी तांबोळे मजकुरास ताकीद करून ऐवज वसुलात ये ते गोष्ट करावी. छ २९ जिल्काद. हे विनंति. मोर्तब सूद.

श्री म्हाळसाकांत चरणीं तत्पर
खंडोजी सुत मल्हारजी होळकर.