Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४५५]                                                                        श्री.                                                          २३ जून १७५५.

पौ ज्येष्ठ वद्य ५ शनवार
शके १६७७.

वेदमूर्ति राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरी आपणाकडील पत्र येऊन वर्तमान कळत नाहीं. तरी सविस्तर मुसाबुसीबासालत जग एक कसें ? मराठे कोणेकडे ? हें वर्तमान जरूर तहकीक ल्याहावें. छ १२ रमजान. हे विनंति.



[४५६]                                                                        श्री.                                                          १६ जुलै १७५५.

पौ ६ माहे शवल.
अखंडित लक्ष्मी अलंकृत राजमान्य राजश्री रामाजी केशव का दार

पा जैनाबाद गोसावी यांसी :-
सेवक बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार सु सीत खमसैन मया व अलफ. तुह्मांकडे सालमजकूरचे रसदेचा ऐवज रुपये १०५००० येक लक्ष पांच हजार येणें. त्यास सरकारांत ऐवजाचें प्रयोजन आहे. दक्षणेस श्रावणमासाचे ऐवज पाहिजे. तर पत्र पावतांच ऐवज जलदीनें येऊन पोहोंचे ते गोष्ट करणें. दिरंग न लावणें. जाणिजे. छ २२ रमजान आज्ञा प्रमाण. याखेरीज मंड्या व पातशाही बाग व जकात वगैरे येथील सालमजकूरची रसद घ्यावी लागते. तोहि ऐवज पाठवून देणें. जाणिजे. छ मा आज्ञा प्रमाण.
लेखन
सीमा.