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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[३१५]                                                                       श्री.                                                                १५ सप्टंबर १७४३

पुरवणी तीर्थरूप श्री परमहंसबावा स्वामीचे सेवेसी :-
विज्ञापना. विशेष. स्वामीचे आज्ञेप्रमाणें ह्मैसी दोन पाठविल्या आहेत. परंतु स्वामीयोग्य उत्तम नाहींत. वरकड अपत्यांनी तर असते पदार्थांत उत्तम पाहून रवाना केल्या आहेत. सारांश, एक दोन वर्षे स्वामीचे आज्ञेप्रमाणें ह्मैसी पाठवावयास अंतर न केलें. परंतु ह्मैसी उत्तम संग्रहीं नाहीत. आणि स्वामीची आज्ञा वर्षासनाची येते. या आज्ञेप्रमाणें रवानगी न जाहाली तरी स्वामीचे चित्तांत काय येई हें न कळे. यास्तव अपत्यांची विज्ञापना कीं, ह्मैसीचे वर्षासनाची क्षमा केली पाहिजे. येविशीं विस्तार विज्ञप्ती लिहावी ऐसें नाहीं. सेवेसी श्रृत होय. हे विज्ञापना.