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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[२५३]                                                                       श्री.                                                                    ११ जानेवारी १७३३.

श्रीमत्सकलतीर्थास्पदीभूत श्री परमहंसबावा स्वामी वडिलाचे सेवेसी :-
अपत्यें सेखोजी आंगरे सरखेल साष्टांग दंडवत प्रणाम विनंति उपरी येथील कुशल तागायत माघ शु॥ सप्तमी गुरुवासरपर्यंत स्वामीचें कृपेंकरून असे. विशेष. स्वामीनीं आशीर्वादपत्रें पाठविली ती प्रविष्ट होऊनी संतोषातिशय जाहाला. याच न्यायें निरंतर पत्रीं सांभाळ केला पाहिजे. यानंतर संक्रमणप्रमुख तिलशर्करा स्वामीचे सेवेसी पाठविले आहेत. प्रविष्ट जाहाल्याचें उत्तर पाठवावयास स्वामी वडील आहेत. वरकड स्वामीनीं आज्ञा केली, त्याचें उत्तर अलाहिदा पुरवणीपत्रीं लिहिलें आहे. त्याजवरून विदित होईल. बहुत काय लेहूं ? कृपा निरंतर वर्धमान केली पाहिजे.