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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

 [२५१]                                                                       श्री.                                                                      १० मार्च १७३२.

श्रीमत् तीर्थस्वरूप श्री परमहंसबावा स्वामीचे सेवेसी :-
अपत्यें सेखोजी आंगरे सरखेल. कृतानेक साष्टांग दंडवत प्र॥ विनंति उपरी येथील कुशल फाल्गुन वद्य दशमी भृगुवासर मुक्काम तळेगांव स्वामीचे आशीर्वादेकडून यथास्थित असे. विशेष. राजश्री छत्रपति स्वामींनी दर्शनास यावयाची आज्ञा केली, त्याजवरून फाल्गुन वद्य द्वितीयेस स्वार होऊन तळेगांवी आलों. पुढें मजल दरमजल पुणेयाचे मार्गे सातारियास जातां स्वामीचे दर्शनास येतों. कळलें पाहिजे. बहुत काय लिहूं ? कृपा वर्धमान केली पाहिजे. हे विनंति.