Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[६५]                                                                                  श्रीभार्गवराम.       

आशीर्वाद. उपरी येथील कुशल त॥ श्रावण, शुध्द त्रयोदशी जाणून स्वकीय कुशल लिहावें. तुह्मी दोन तीन पत्रें पाठविली ती पावली. उत्तर सविस्तर लि॥ सांगितलें आहे. त्या प्र॥ दरबारचें कामकाज घ्यावें. चिरंजीव राजश्री जगंनाथपंतास बराबर नेऊन व राजश्री कृष्णाजीपंतदादा याचे हातून कामकाज करून फडशा करावा. मागील हिशेब सर्व आहेच. र॥ नारोपंत काल परवाच प॥ असेत. परंतु पाऊस फार यामुळें राहिले. प्रतिपदेस पाठऊन देतों. श्रीची पुण्यतीथ बहुत उत्तमसांग नवदिवस नवरात्र जाहलें. संतर्पण, कीर्तन, वार्षिकाहून विशेष जाहलें. नागपंचमीचें दिवशी चमत्कार जाहला. रात्रौ धुपारतीचे समई समाधीचें वस्त्र कापून गती गती वस्त्र काषायमान हा चमत्कार सर्वांही पाहिला. कळावें. श्री साक्षात आहेत. दृष्टांतही जाहले. हें वर्तमान र॥ लक्ष्मणपंतास सांगावें व राजश्री विष्णुपंतास सांगावें. श्रीचे संस्थानाची नेमणूक सर्व उत्तम करून घ्यावी. ह्मणून र॥ शिदभट व चिंतोपंत, सोनोपंत यांशी सांगावें. नागपंचमीचें वर्तमान शिदभट, वेंकाजीपंत, सोनोपंत, चिंतोपंतास सांगावें, चमत्कार जाहला. ईश्वरइच्छा प्रमाण. अधिकोत्तर लि॥ वेसें नाहीं. हे आशीर्वाद.

                                                                                                                                   बेहेडा सन सितैन.