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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड वीसावा (शिवकालीन घराणी)
लेखांक १५३ १५९८ मार्गशीर्ष वद्य १
राजश्री आमाजी कान्हो हवालदार व कारकून सा। हवेली गो गोसावी यासि
अखंडितलक्षोमीअलंकृत राजमान्य
सेवक एसाजी मल्हारी सुभेदार व कारकून पा। वाई नमस्कार सु॥सन सबा सबैन अलफ बा। पत्र राजश्री सरसुभेदार माहालानिहाय तेथे आज्ञा की वेदमूर्ती नरसींभट बिन रंगभट जुनारदार सो। का। मा। हुजूर येउनु मालूम केले जे आपणास इनाम जमीन चावर ॥ दर सवाद मौजे पसर्णी सा। हवेली पा। मा। सालाबाद चालिले आहे तरी साहेबी दुमाले केले पाहिजे ह्मणउनु तरी त्याचा इनाम सदरहू गावी आहे त्यास सालगु॥ प्रमाणे बा। भोगवटा मनास आणउनु दुमाले करणे तालीक लेहून घेउनु असल परतून दीजे ह्मणउनु आज्ञ आज्ञेप्रमाणे दुमाले केले आहे दुमाले कीजे छ १४ सौवाल तालीक लेहून घेउनु असल परतून दीजे मोर्तब सूद