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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड वीसावा (शिवकालीन घराणी)
सुपें-देशपांडे
लेखांक १ १३५० सुमार
(वरील १४ ओळी गहाळ झाल्या आहेत)*
ओळ
१ | से ॥ २ ॥ व टके ५००० पाच देणे | (१५) |
२ | या बोला अन्यथा नाही हद | (१६) |
३ | महदूद वरीलीकडुनु तरवडादेवी | (१७) |
४ | चा त्रीशुळ वीवधा पीशावा चि | (१८) |
५ | चवलि व वढाणे तेथुनु उत्तरे | (१९) |
६ | स वरीले राजोरीची वाट तेथुनु ही ध | (२०) |
७ | रण पाढरफळीचा खीळा तेथुनु तीवधा | (२१) |
८ | चिचवलि सुपे वढाणे हा तिवधा ते | (२२) |
९ | थुनु बळहे टेक तळ्याची पाळी तेथु | (२३) |
१० | नु साईलवड तेथुनु वाटोळी टेभि | (२४) |
११ | + + क देउळगावीची वाट तेथुनु | (२५) |
१२ | तिवधा पडवी वढाणे सुपे हे मिया | (२६) |
१३ | व तुवा खाईजे या बोला अन्यथा | (२७) |
१४ | नाही ॐळी ॥२८॥ अठावीस | (२८) |
(फारसी दोन ओळी)
+ + + ला जमशद से॥ क॥ सुपे वीठ पाटील कमळ पाटील से॥ अजनुज प॥ सीरवळ हरि म्पाटील मायां पाटील मौजे बारखेल प॥ सुपे + + (मा) यां अडबो वृत्तीकार मौजे रासीन गणो दसगो मौजे पोपरी प॥ सुपे तुको चागो वृत्तीकार मौजे वीखले पा। + + |
मलनाक बाबनाक नाग जोसी कुळकर्णी सुपे मेहतरी बाबु क + + मेहतरी अबवळा सुपे जाईदे पाटील अगद पाटील अजनुज प॥ सीरवळ भीलो बाको दृ + र मौजे खाबगाऊ पुणे गोदो कान्हो मौजे कोथरूळ प॥ पुणे मालो मायीं मौजे सुपे प॥ चदृवेदी |