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सर्वसामान्य नामादिशब्दव्युत्पत्तिकोश
पीठवन [ पृष्टिपर्णि = पीठवन ] (भा. इ. १८३४)
पीतवीत [ पीतविपीत (शाकपार्थिवादि गण) = पीतवीत ] वि पासून निघालेली बि मराठींत संस्कृतांतून आली आहे.
पुकारा [ पुत्कारः = पुकारा ( धर्मदत्तचरितम्)] (भा. इ. १८३४)
पुख्खा [ पूष् १ वृद्धौ. पूषः = पुख्खा ] वृद्धि करणारें अन्न. ( धा. सा. श.)
पुचकणें [ प्युस् विभागे. प्युसनं = पुचकणें ] पुचकणें म्हणजे विभाग होणें, मोडणें, क्षीण होणें. ( धा. सा. श.)
पुचकन् [ प्र + मुच् ६ मोचने ] (धातुकोश-पुच पहा)
पुचका [ पृश्निक: = पुचका ] क्षीण, दुर्बळ.
पुचपुचित १ [पुच्छ १ प्रमादे] ( धातुकोश-पुचपुच पहा)
-२ [ प्युस् विभागे = पुच. प्युसप्युसितं = पुचपुचित ] पुचपुचित म्ह० भाग होण्यास योग्य, पोकळ. (धा. सा. श.)
पुच्चा, पुच्ची [पुषः Vulva. वैजयंती=पुच्चा, पुच्ची]
पुटकुळी [ पिटका = पिटकुळी (स्वार्धे ल), पुटकुळी ] (भा. इ. १८३४)
पुटपुटणें [ पुट् (बोलणें) = पुटपुट (द्विरुक्ति) ] (ग्रंथमाला)
पुंडा ऊस [ (१) पौंड्रक= एका प्रकारचा ऊस. पौंड्रक = पौंडा. = पुंडा (२) पुंड्र = पुंडा. ] ( भा. इ. १८३३)
पुडी [ पुटि, पुटी = पुडी, पूड ] ( पूड़ पहा)
पुडुत, पुडुतीपुडुती, पुढचा, पुढला, पुढां, पुढील, पुढुन [पुढें १ पहा]
पुढें १ [ वैदिक नाम पुरस् पासून पुढ. 'पुढ' ची सप्तमी पुढें, पंचमी पुढून, षष्ठी पुढचा, सप्तमी पुढां.
पुरत: = पुडुत, पुडुता, पुडुतीपुडुती. पुढपासून विशेषण पुढला, पुढील. ] ( ग्रंथमाला)
-२ [ प्रभृति ( पासून ) = पुढें ] ततः प्रभृति = त्या पुढें (तेव्हां पासून)
पुतण्या-णी - [ पुत्रान्यक = पुतन्यअ = पुतन्या = पुतण्या-णी ] पुत्रासारखाच दुसरा पुत्र, भावाचा मुलगा. ( स. मं.)
पुतळी [ पुत्रिका = पुतरिआ = पुतळी ]
पुत्तलिका हा शब्द पुत्रिका शब्दाचा अपभ्रंश आहे.