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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड आठवा (१६४९-१८१७)

[ १२४ ]                                            श्री.                                              १७३१.

राजश्री भगवंतराऊ अमात्य पंत साहेबः -
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अखडितलक्ष्मीअलंकृत राजमान्य राजश्री नामाजी पा। दोन मौजे तांदळी दंडवत उपरि. तुह्मीं पत्र पाठविलें वर्तमान अवगत जालें. त्यांसी राजश्री राऊ पंतप्रधान यांचेंही आज्ञापत्र आलें आहे. त्यासी, आपल्या शरिरास सावकाश वाटत नाहीं त्यासी सीमाउल्लंघन जालियावर आपण पुणियासी जातो. तेथें गेलियाउपर जे हकीकत होईल ते सेवेसी लेहून पाठवूं. बहुत काय लिहिणें. हे विनंति. महादाजी साबळे जबानी सागतां कळों येईल.