Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[५३६]                                                                     श्री.                                                                

वेदशास्त्रसंपन्न राजमान्य राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामी गोसावी यांसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणोन स्वकीय कुशल लिहिणें. विशेष. पत्र पाठविलें तें पावलें. नाजूक कार्याचें पत्रें रवाना केली ह्मणून लिहिलें तें कळलें. जाणिजे. छ ९ रबिलावल. हे विनंति.



[५३७]                                                                     श्री.                                                                

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान साष्टांग नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणोन स्वकीय कुशल लिहीत असिलें पाहिजे. विशेष. पत्र पाठविलें तें प्रविष्ट जाहालें. महमद गुलाम हुसेन बेग हे पालक पुत्र मोहसना बेगम गाजुदीखानाची बहीण यांचा आहे. यांणी राजश्री शामजी गोविंद यांचें विद्यमानें आपली पत्रें पावतीं करून उत्तरें घेतली आहेत. यांच्या चित्तांत आपली चाकरी करावी. हे थोर घराणदाज आहेत. यांचे चालवावें योग्य आहे ह्मणोन लिहिलें तें कळलें. यंदा नवे लोक ठेवीत नाहींत. पुढें यांचा विचार लिहिला जाईल. रा छ २५ सफर. बहुत काय लिहिणें. हे विनंति.