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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४९८]                                                                         श्री.                                                                १२ आक्टोबर १७५७.

पो आश्विन शुध्द १ गुरुवार
शके १६७९.

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी विश्वासराव बल्लाळ नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय कुशल लिहीत असिलें पाहिजे. विशेष. रा. बळवंतराव गणपत यांस गतवर्षी फौजसुध्दां कर्नाटकप्रांतीं छावणीस ठेविले आहेत. त्यास, कडप्याचे पठाण याजकडे खंडणीच्या बोलीचालीस मातबर माणूस पाठविला असतां लाख रुपयाशिवाय जाजती कबूल न करी. तेव्हां कडप्यास मोर्चे दिल्हे. खासा पठाण सुधोटास होता तेथून धावून आला. ती कोसांवर जुंझ फारच जालें. खासा पठाण ठार जाला, व दोन तीनशे पठाण कामास आले. कडप्याचें ठाणें घेतलें. हें संतोषाचें वर्तमान आपल्यास कळावें, यास्तव लिहिलें असे. रा छ २७ मोहरम. बहुत काय लिहिणें. लोभ असो दीजे. हे विनंति.