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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४९३]                                                                         श्री.                                                                  ६ सप्टेंबर १७५७.

पौ भाद्रपद वद्य १२ शनवार
शके १६७९.

वेदमूर्ति राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति. आज अमदाबाद घेतल्याचें वर्तमान आलें. आपणास कळावें ह्मणून लिहिलें असे. तेथील वर्तमान व निजामअल्लीशी बसालतजंगाशीं कसें आहे हें वर्तमान ल्याहावें. छ २१ जिल्हेज. हे विनंति.



[४९४]                                                                         श्री.                                                                  ११ सप्टेंबर १७५७.

वेदमूर्ति राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरि. बसालतजंगांनीं जीवनरायाचे मारफातीनें पंचविसा लाखांची जागीर नगर आह्मास द्यावें, शहानवाजखानास दौलताबाद अंतूर करार करावें, चहू लक्षांची जागीर द्यावी, ऐसें कबूल केलें. परंतु निजामअल्लीस बोलावितात. वरकड मराठे मुजफरखान यास बोलावितात. याजवरून कांही कपटभाव, ऐसेंहि वाटतें. तर याचें यथार्थ वर्तमान दर्गाकुलीखानाचे मारफातीनें अथवा हरकोणीकडून लावून जरूर ल्याहावें. रामदासपंतांनीहि पहिलें सलूख दाखवून, फौजा मेळवून, मग बिघाड येकायेकी दगाबाजीनें केला. तेव्हां आपण आह्मांस तहकीक रामदास दगाबाजी करतो असें लिहिलें होतें. परंतु आह्मीं जानबाचे भरंवशीयावर गेलों. तैसा हा प्रकार वाटतो. तर जरूर तहकीक दरगाकूलीखानाकडून हरकोणीकडून आंतील वर्तमान जरूर लिहिणें. निजामअल्लीशी बसालतजंगाशीं कसे आहे तें जरूर ल्याहावें. छ २९ जिल्हेज. हे विनंति.