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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४६५]                                                                        श्री.                                                            २९ नोव्हेंबर १७५५.

पौ मार्गशीर्ष पौष शुध्द १
शुक्रवार शके १६७७.

वेदशास्त्रसंपन्न राजमान्य राजश्री वासुदेव बावा दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
चरणरज शिवभट साठे शिरसाष्टांग नमस्कार. कार्तिक वदि १० मुक्काम नजिक रेवा मुकुंदरास आलों. बंगालियाची मामलत करून हस्तीसमागमें व श्रीमंत जानोजीबावा व श्रीमंत मुधोजीबावा यांचे खलेते व जवाहीर घेऊन आलों. हुंडीही बारा लक्षांची आणिली. त्यापैकीं दोन लक्ष रुपये श्रीहून हुंडी करून घेतली. बाकी दहा लक्ष रुपयांची शर्तेची हुंडी घेऊन आलों. श्रीमंत कैलासवासी यांचें इमान-प्रमाण व कागदपत्र पूर्ववत् करून घ्यावें आणि रुपये द्यावे. त्या पूर्ववत्प्रमाणें सर्व गोष्टी होतील चिंता नाहीं. बहुत काय लिहिणें हे विनंति. मित्ती कार्तिक वदि १० हे विज्ञापना.