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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४५१]                                                                        श्री.                                                                    २३ फेब्रुवारी १७५५.

पौ फाल्गुन वद्य १ गुरुवार
शके १६७६ भासनामसंवत्सरे.

वेदशास्त्रसंपन्न राजमान्य राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणोन स्वकीय कुशललेखन करावें. यानंतर आपण पत्र पाठविलें तें प्रविष्ट जाहलें. लेखनार्थ सविस्तर अर्थ अवगत जाहला. ऐशियास तुमची आमची भेट जाहली पाहिजे. याजकरितां भेटीस यावें. आह्मीं मजल दरमजल नगरचें सुमारें लौकरच येतों. येतेसमयीं खानाकडील मल्हारपंतही बरोबर घेऊन यावें. आपली आमची भेटीनंतर खानाकडील कामकाजाचा जाब ठहराविला जाईल. लौकर यावें. छ ११ जमादिलावल. हे विनंति.