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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४४७]                                                                        श्री.                                                                  ९ नोव्हेंबर १७५४.

पौ कार्तिक वद्य १० शनवार
शके १६७६.

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान साष्टांग नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय लिहीत असिलें पाहिजे. विशेष. आशीर्वादपत्र पाठविलें तें प्रविष्ट होऊन संतोष जाहला. मनसुरअल्लीखान मृत्यु पावलियाचा मजकूर लिहिला तो कळला. अत:परही तिकडील नवल विशेष वर्तमान येईल तें वरच्यावरी लिहीत जावें. प्रस्तुत अवरंगाबादेंत उमदे अमीर राहतात, त्याचा विचार काय ? व नवाबाबरोबर अमीर आहेत, ते कोणे मनसुबियांत आहेत ? तें लिहीत जावें. आपण जरूर यावें. हे विनंति.