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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४४३]                                                                श्रीलक्ष्मीकांत.                                                               ३१ जुलै १७५४.

पो आश्विन शुध्द पंचमी
शके १६७६.

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव बाबा दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
सेवक रघोजी भोसले सेनासाहेब सुभा दंडवत विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय कुशल लिहीत असिलें पाहिजे. विशेष. राजश्री त्रिंबकजी भोसले राजे यांजकडील ऐवजाची हुंडी बंगालियाहून वेदमूर्ति राजश्री शिवभट साठे यांणी रुपये ४०००० चाळिस हजारांची तुमचे जोगची पाठविली आहे. त्यास आपण आठशें रुपये जमा केले आहेत ह्मणोन मशारनिलेनी विदित केलें. ऐशियास सदरहू ऐवज कर्जाचा आहे, तरी सुलाखी रोकडे रुपये देविले पाहिजेत. रा छ ११ माहे शाबान. सेवेसी श्रुत होय. हे विज्ञप्ति.