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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[३८१]                                                                       श्री.                                                      २ एप्रिल १७५१.

पौ वैशाख शुध्द ९ मंगळवार
शके १६७२.

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
पोष्य विनायक दीक्षित पटवर्धन साष्टांग नमस्कार इ.इ.इ. इकडील वर्तमान तर सर्व स्वस्थ आहे. गायकवाड संकटांतच आहेत. श्रीमंतांची फौज वीस हजार भोंवती आहे. पाणी नाहीं व दाणावैरण जाऊं देत नाहीं. सातारा व वाई वगैरेभोवतें सर्व श्रीमंतांचेच फौजेनें उध्वस्त जालें. गायकवाडास कोणाची कुमक पोहोंचत नाहीं व आईसाहेबही वरचेवरच गोष्टी सांगतात. आणून फसविलें ऐसें जालें ! कळावें ह्मणून लिहिलें असे. भागानगराकडील वर्तमान सविस्तर लिहिलें पाहिजे. बहुत काय लिहिणें. हे विनंति. मिति चैत्र वदि ३ शके १६७३ प्रजापतिनाम संवत्सर.