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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड बावीसावा (१७९२-९३)

कृष्णराव ठाकूर यांचे पत्राचे                                                         लेखांक २२६.                                                      १७१५ वैशाख शुद्ध ९.
जाब छ ८ सवाल.

राजश्रिया विराजित राजमान्य राजश्री ठाकूर कृष्णराव देशमूख पा केज धारूर स्वामीचे सेवेसी-
पो गोविंदराव कृष्ण सां नमस्कार विनंति उपरि एथील कुशल जाणून स्वकीयें लिहीत असावें विशेष तुह्मी पत्र पा ते पावले स्वस्थळास क्षेमरूप पावल्याचे लिहिल्यावरून संतोष जाहला राजश्री नारोपंत देशपांडे सोलापूरकर यांजकडील पाटीलकीचे वृत्तीचा मार लिहिल्यावरून राजश्री अंताजी निराजी कादार यांस पत्र व नारोपंत यांचे पत्राचे उत्तर पाठविले आहे दरबारी हरएक कामाचे साहित्य होत असावे ह्मणोन लिा त्यास तुह्माकडील कार्यास इकडून अनमान सहसा व्हावयाची नाही येविषई उपरोधिक लिहिण्याचे कारण नाही वरचेवर पत्र पाठऊन संतोषवीत जावे रा छ ८ सवाल बहुत काय लिहिणे लोभ कीजे हे विनंति.