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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड एकवीसावा (शिवकालीन घराणी)

लेखांक ५]                                                                                                                                      [१६०६ श्रावण शुद्ध १

                                                                                              श्री                                                                 


स्वस्ति श्रीशके १६०६ रक्तक्षिनामसवत्सरे श्रावणसुधप्रतिपदा सौम्यवासरे तदिने रगोवा नायक व नरसोवा नायक व सोमाजी नायक मावलकर याणी मातुश्री कृष्णाबाई व विस्णुभट सफरे व वासुदेवभट सफरे पुरोहित यासी पुसिले जे देशमुखी व सरदेशमुखी सगमेश्वर माहालची व मामले प्रभावली व मामले दाभोल या वतनाची वडिलामध्ये अर्जक कोण पुरुष त्या पासून वशावलि कैसी चालिली त्या वरून कृष्णाबाई याणी व उभयता भटगोसावी याणी सागितले जे पूर्वील वशावली वडिलाचे वेलेची सोमोवा नायक याणी लिहिली होती ती वशावली सेतवडेकर सोमाजी नायक या कडेस आहे हे आणवणे त्या वरून सोमाजी नायक या कडील वशावलीपत्र आणिले मग त्या पत्राचा उधारा वरून व कृष्णाबाई व उभयता भटगोसावी याणी सागितले त्या वरून वशपरपरा ऐसी आहे जे पूर्वी नरसीभट सत्यवादी गोदातीरी नृसिहभक्त होते ते देशाठणप्रसगे तलकोकणात धवमापूर समीप मावलगे नामक गावास सहकुटुब आले येथे श्रीनृसिहाची मुहूर्त बहुत ज्यागृत पाहोन देवासनिध राहोन देवताराधन त्याणी बहुत काल केले त्याचे पुत्र गोविदभट त्याणी हि देवताराधन फार केले त्याचे पुत्र मागती नृसिहभट ते हि देवताराधन बहुत करीत असता त्यास स्वप्न जाहाले जे तू नीरानरसीपुरास जाऊन माझे भजन करणे तेणेकरुन माहा सिधी पावसील मग नरसीभट नीरानरसीपुरास जाऊन पध्रा वर्षे तेथे राहोन सामराज मत्रोपासना बहुत केली या वर त्यास स्वप्न जाहाला जे तू सेवा केलीस ते सपूर्ण करणे या उपरी तुज देव साध्य आहे त्ये काली राजा कोलापुरी विजय नामक धर्मात्मा होता त्याचे राज्य तुगभद्रेपासून गोदातीर व समुद्रकुलपर्यत होते तो राजा कौतुकास्तव सनिध सिगणापुरी राहोन नरसीभटी शिगणापुरास जाऊन दानाध्यक्षानुमते राजदर्शन घेतले राज्याने ब्राह्मणाची शिष्टता देखोन तलकोकणात सगमेश्वर ग्राम निधिनिक्षेप ज्यलतरुपर्वतारण्यसमेत उदकपूर्वक दान दिला मग नरसीभट सगमेश्वरास आले गावीची स्थित पाहाता सगमेश्वरी धर्मात्मा कर्णराज व सोमाजी प्रधान व इतर