Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

संस्कृत भाषेचा उलगडा

३२ उपसर्गवाल्यांची रूपे प्रत्ययवाल्यांनी घेऊन झालेली जी रूपमाला उत्तमपुरूषसर्वनामांची व मध्यमपुरुषसर्वनामांची वर दिली ती रूपमाला पूर्ववैदिक सर्व आर्यसमाजानी पत्करली असे नाही. काही पूर्ववैदिकसमाजांनी उपसर्गवाल्यांची पद्धती स्वीकारून प्रत्ययी व उपसर्गी अशी भेसळ रूपमाला बनविली. परंतु काही पूर्ववैदिकसमाज जुन्या प्रत्ययी भाषेलाच चिकटून राहून आपली उत्तम पुरुषवाचकसर्वनामांची व मध्यम पुरुषवाचकसर्वनामाचीं रूपे येणेप्रमाणे बनवीत. या जुन्या प्रत्ययी भाषा बोलणाऱ्या लोकांत प्रथमपुरुषवाचक सर्वनामाची दोन अंगे असत, एक महम् व दुसरे अहम्. हे महम् व अहम् शब्द, उपसर्ग न लागता, प्रत्यय लागून चालत. महम् व अहम् शब्दांची रूपे :

          अहम्

            १                  २                           ३
१         अहम्            अहौ            अह, अह:, अहाँ:
२         अहमम्            ' '                         ' '
३         अहया        अह्माभ्याम्            अह्मेभि: