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[३८]                                                                           ।। श्री ।।                                                      २२ आगष्ट १७५४

 

राजमान्य राजश्री बाबूराव महादेव नि॥ गोपाळराव गणेश गोसावी यांसिः-

सेवक रघुनाथ बाजीराव नमस्कार सु॥ खमसखमसैन मया व अलफ. तुह्मीं एक दोन पत्रें पाठविलीं, प्रविष्ट जालीं. लिहिलें वर्तमान सविस्तर कळलें. याजउपरि जालें वर्तमान वरचेवरी लिहीत जाणें. सांप्रत सफदरजंग कोठें आहेत? मनसबाविचार आचार काय आहे? हें वृत्त सविस्तर बारीक मोठें मनास आणोन लिहिणें. पोथ्याविसीं पेशजीं लिहिलें आहे. त्याप्रमाणें पुस्तकें तयार करून पाठविणें. तुह्मीं सफदरजंगाचा निरोप घेऊन देशास जाणार. याजकरितां गोपाळराव यांनीं रामचंद्रभिकाजीस पाठविलें. त्यास, तुह्मी व ते एक विचारें राहून कामकाज करीत जाणें. येविशीं रामचंद्र भिकाजीसहि पत्र सादर केलें आहे. जाणिजे. छ ३ जिलकाद. आज्ञाप्रमाण.

 

लेखन सीमा