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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड पहिला (१७५०-१७६१)
[२८] ।। श्री ।। २८ अक्टोबर १७५३
राजश्रिया विराजित राजमान्य राजश्री
गोपाळराव गणेश स्वामी गोसावी यांसिः-
पोण्य रघुनाथ बाजीराव नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय लिहीत जाणें. विशेष. सरकारांत पुस्तकाचें प्रयोजन आहे. त्यास, पुस्तकें बितपशिलः-
शिरोमणी८६ | सांख्यसूत्र व भाष्यप्रस्थान | ||
१ | लीलावतीशिरोमणी | १ | सूत्रें |
१ | बौध्याधिकारशिरोमणी | १ | भाष्य |
१ | प्रत्यक्षशिरोमणी | २ | |
१ | गुणशिरोमणी | स्मृतीः- | |
१ | पदार्थखंडणशिरोमणी | मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य, पाराशर वगैरे स्मृति १८ | |
५ | वेदभाष्य चहूंवेदींचे त्यांत जे मिळेल तितकें येकूण कलम १ |
येणेंप्रमाणें पुस्तकें मेळवून उत्तम अक्षर आणि वित्पन्न ब्राह्मणाचे हातें प्रती करून सदर्हू पुस्तकें लेहून पाठविणें. जाणिजे. छ३ जिल्हेज. बहुत काय लिहिणें हे विनंति.
पै॥ छ १ मोहरम, कार्तिक श्रु॥२ भानुवासर, द्वितीय प्रहर.
मु॥ नजीक अवऱ्या प्रांत अंतर्वेद.