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 [६४]                                                                    श्री भवानी प्रसन्न                                            ३१ मे १७५७.

तीर्थस्वरूप राजश्री राजे जीवनराव१३८ स्वामी वडिलांचे सेवेसी -

कृपा इच्छित कृष्णाजी त्रिंबक स॥ नमस्कार विनंति येथील कुशल ता॥ जेष्ठ शु॥ १३ दर जागा औरंगाबाद जाणून स्वकीय कुशल लेखन करीत असिलें पाहिजे. विशेष. वडिलांकडील आशीर्वादपत्रें श्रीमंत सद्गुणमूर्ति साहेबांचे आज्ञापत्रांसहवर्तमान छ १४ साबानचें येक आह्मांकडील अजुरदार कासद जोडीबरोबर पाठविलें. दुसरें छ १० माहे मजकूरचें मुजरद हजूरचे कासद जोडीबराबर पाठविलें. अशीं दोन्ही पत्रें छ १ रमजानीं पावलीं. सविस्तर अर्थ कळों आला. अक्षरशाहा मजकूर नवाब समसामुद्दौला बहाद्दर यांसी पत्र वाचून दाखवून जेहननसीन केला. सवालजवाबहि परस्परें जाले. ते आलाहिदा मुफसल लिहितों त्याजवरून ध्यानास येणार. बहुत काय लिहू. कृपा पूर्ण असो द्यावी. हे विनंति रवाना छ १३ रमजान.