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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड आठवा (१६४९-१८१७)

[ १५ ]                                      अलीफ .                                                २८ आगष्ट १६६६.

आपले बराबरीचे राजांत श्रेष्ठ, सर्व उमरावांत थोर, महत्कृपेस पात्र, मुसुलमानी धर्मरक्षक, शिवाजी याणें बादशाही कृपेंत आपला सत्कार जाणोन समजावे कीः- तुह्मीं फौजसुद्धां बादशाही लष्करांत आहांत, आणि ताथवडा, फलटण हे किल्ले विजापूरकराकडील होते, ते घेऊन त्यांची फौज तळकोकण प्रांतीं होती तेथे रात्रीं पोहोचविली, ह्मणोन राजे जैसिंग याणे लिहिल्यावरुन तुमचे शाबासकीस कारण जालें सबब तुह्माकरितां उत्तम पोषाख व जडावाची कट्यार पाठविली आहे या लाभाचा संतोष मानून इत पर या स्वारींत जितके कोशीस कराल तितके पहिल्यापेक्षा अधिक लोभास कारण होईल छ ७ रबिलोवल, मु ।। सन १०७७ हिजरी