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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४२६]                                                                        श्री.                                                     ९ एप्रिल १७५३.

पै॥ वैशाख शुध्द १२
सोमवार शके १६७५.

वेदशास्त्रसंपन्न राजमान्य राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीय कुशल लिहिणें. विशेष. सांप्रत आशीर्वादपत्र येऊन वर्तमान अवगत होत नाहीं. तरी निरंतर आशीर्वादपत्री सानंदवीत जावें. इकडील वर्तमान तर, श्रीरंगपट्टणची मामलियत उरकून बिदनूरच्या तालुकियांत आलों. येथील निर्दम होऊन लवकरच येईन. उपरांतिक जो विचार कर्तव्य तो करून लिहून पाठवूं. र॥ छ ४ जमादिलाखर. हे विनंति.