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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४२०]                                                                       श्री.                                                                  २१ जानेवारी १७५३.

पो पोष्य वद्य १० शके १६७४.

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेवी दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी विश्वनाथराऊ बल्लाळ नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणून स्वकीयें कुशल लिहीत असिलें पाहिजे. विशेष. आपण पत्र पाठविलें तें पावले. प॥ जमाबंद वगैरे दोन माहाल यांजकडे मोगलाई अमलाची रसद येणें. त्यांपैकीं हुंडी व हरसोल सातारे नि॥ भिकाजी कृष्ण यांजकडे पौष शुध्द प्रतिपदेचा हप्ता येणें. त्याची हुंडी दत्ताजी नाईक कान्हेरे यांजवर पाठविली ती पावली. त्याप्रमाणें ऐवज सरकारांत घेऊन कमावीसदारांचे नावें सरकारचे जाब आलाहिदा पाठविले आहेत, त्याजवरून कळेल. र॥ छ १५ रबिलावल सु॥ सलास खमसैन मया व अलफ प॥ हरसूल सातारे नि॥ भिकाजी कृष्ण यांजकडे माघ शुध्द प्रतिपदेचा हप्ता रुपये ७९६ सातशें शाहाण्णव येणें ते पाठवून द्यावे. र॥ छ मजकूर. बहुत काय लिहिणें हे विनंति.