Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[४००]                                                                       श्री.                                                            नोव्हेंबर १७५१.

श्रीमंत वेदशास्त्रसंपन्न दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
आज्ञाधारक बगाजी यादव सा ना विनंति उपर. उभयतां सैन्य विक्षेपयुक्त नगरप्रांतास आलें. ईश्वरकृपेनें श्रीमंताचा पुण्यप्रताप विशेष आहे. सर्व उत्तम होईल. आमचे घरी सुखसमाचार अगत्यरूप पावता कीजे. आत्या व चिरंजीव मनोहरपंत सुखें असतात.

सो विद्यार्थी मनोहर सा नमस्कार. आमचा सुखसमाचार घरीं पावता करावा. येथील प्रसंग श्रीकृपेनें दिवसोदिवस श्रीमंतांचा ऊर्जित आहे.. हे विनंति.

 

 

[४०१]                                                                       श्री.                                                            फेब्रुवारी-मार्च १७५२.

चरणरज भगवंत भैरव सा नमस्कार विज्ञापना. चिरंजीव माधोबानें काल वर्तमान सांगितलें होतें, त्याजवरून मसोदा करून पाठविला आहे. त्याप्रों पत्र रा बाळाजी नारायण यांस लिहून जरूर पाठवावें. लाखोटा आह्मीं करून देऊं. राजकीय वर्तमान:- पुण्यांत गडबड फार झाली. मातबर तमाम पळोन गेले. मालमालियत कुलसिंहगडावर गेली. रा दमाजी गायकवाड सेनापतीस घेऊन सप्तऋषीस गेले. बापूजी बाजीराव पांच सात कोशीं मागें आहेत. दुसरी ताजी खबर आल्यावर लिहून पाठवूं. हे विज्ञापना.