Deprecated: Required parameter $article follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $helper follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

Deprecated: Required parameter $method follows optional parameter $type in /home/samagrarajwade/public_html/libraries/regularlabs/src/Article.php on line 57

मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड तिसरा ( १७०० -१७६०)

[३९४]                                                                       श्री.                                                            २४ जून १७५२.

पौ आषाढ शुध्द ४
शके १६७४

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी बाळाजी बाजीराव प्रधान साष्टांग नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल स्वामीचे आशीर्वादें यथास्थित असे. विशेष. जासुदाचें प्रयोजन आहे. तरी जासूद मोंगलाई कारभारास वाकीफ आणि मर्द माणोस चालणार चांगले असें पाहून पन्नास असामी करार करून पाठवून द्यावे. गाजुदीखानाचे वर्तमानावर जागा जागा काय तर्तूद होते तें लिहिलें पाहिजे. छ २२ साबान. हे विनंति.

 

 

[३९५]                                                                       श्री.                                                            २७ जून १७५२.

पौ आषाढ शुध्द ११ शनवार
शके १६७४

वेदशास्त्रसंपन्न राजश्री वासुदेव दीक्षित स्वामीचे सेवेसी :-
विद्यार्थी विसाजी दादाजी कृतानेक शिरसाष्टांग नमस्कार विनंति. येथील कुशल त॥ अधिक आषाढ वद्य द्वादशी जाणून स्वकीय लेखन करावयास आज्ञा केली पाहिजे. विशेष. आपण गेल्यापासून वर्तमान कांहीं कळत नाहीं. तरी साकल्य लिहिलें पाहिजे. इकडील वर्तमान राजश्री दमाजी गायकवाड येथें आले आहेत. आजी चार दिवस जाले. सप्तऋषीकडील वर्तमान पूर्ववत् प्रे॥ आहे. यकारनामक किन्हईहून सातारा गेले आहेत. त्यांचे बंधु सुटोन साताऱ्यास आले, कळलें पाहिजे. बहुत काय लिहिणें. कृपालोभ असो दीजे. हे विनंति.