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[१९७]                                                                       श्री.                                                                  २२ नोव्हेंबर १७६०.

राजश्रियाविराजितराजमान्यराजश्री बाबूराव कोनेर स्वामी गोसावी यांसी :-
पोष्य बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणोन स्वकीय कुशल लिहीत जाणें. विशेष. खासा स्वारी हिंदुस्थानांत सत्वर होणार. ऐशास, स्वारीबरोबर तोफखाना मातबर आहे. जलद स्वारीमुळें बैल थकतील. त्यांस, कुमकेस दुसरे बैल पाहिजेत. यांजकरितां हें पत्र तुह्मांस लिहिले असे. तर बैल चांगले, मजबूत, तरणे, तोफाजोगे, सर ४०० चारशें खरिदी करून झांशी तालुक्याचे सरहद्देस स्वारीच्या मार्गाच्या सुमारें ताबडतोब पाठवून देणें. गवताची तरतूद करणें. जाणिजे. चंद्र १३ रबिलाखर. बहुत काय लिहिणें. हे विनंति.


[१९८]                                                                       श्री.                                                                  

राजश्रियाविराजितराजमान्यराजश्री बाबूराव कोनेर स्वामी गोसावी यांसी :-
बाळाजी बाजीराव प्रधान नमस्कार विनंति उपरि येथील कुशल जाणोन स्वकीय कुशल लिहीत जाणें. विशेष. खासा स्वारी मकडाईवर आली. दरमजल देवरीवरून बिल्हेरीवरून पुढें येत असो. तुह्मांस तेथें कार्यभाग बहुतसा नसेल तरी तुह्मीं पत्रदर्शनीं भेटीस येणें. जरी कामकाज असेल तरी तुह्मी रहाणें, आपलेकडील मातबर पुढे दर्शनास पाठविणें. विलंब न लावणें. दिल्लीकडील वगैरे वर्तमान लिहिणें. हे विनंति.