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मराठ्यांच्या इतिहासाची साधने खंड बावीसावा (१७९२-९३)

भवानी दुर्गाजी याचे पत्राचे उत्तर                                                     लेखांक ९०.                                                         १७१४ पौष वद्य ४.
रा छ १७ जावल डांकेवर.

राजश्रिया विराजित राजमान्य राजश्री भवानीपंत स्वामीचे सेवेसी-
पो गोविंदराव कृष्ण सां नमस्कार विनंति उपरि एथील कुशल जाणून स्वकीयें लिहीत जावें विशेष तुह्मी छ २२ माहे राखरचें पत्र पाठविलें तें छ १ जाविली पावलें कार्तिक वद्य एकादसीस पुणियास तुह्मी पोंहचून राजश्री नाना व तात्या यांच्या भेटी घेतल्या मामलतप्रकर्णी जाबसालाचा आरंभ आहे ह्मणोन लिहिलें तें कळलें त्यास अलीकडे मामलतसमंधी बोलणी होऊन काय निश्चयात आलें हें ल्याहावें तुह्मी आपल्याकडील वरचेवर वर्तमान लिहून पाठवीत जावें रा छ १७ जावल बहुत काय लिहिणे लोभ कीजे हे विनंति.